Site icon Saavan

भस्म करूँ खामियाँ स्वयं की

पावक उग आ तू मेरे मन में,
भस्म करूँ खामियाँ स्वयं की,
एक- एक कर खोज -खोज कर
दुर्बलताएँ दूर करूँ निज।
बहुत हो चुका डगमग डगमग
अस्थिर मन अस्थिर तन लेकर
भटक रहा जो इधर-उधर अब
सारी उलझन दूर करूँ निज।
नहीं किसी से गलत कहूँ मैं
नहीं किसी की गलत सुनूँ मैं,
खुलकर राह चुनूँ मैं अपनी
बाधाएं सब दूर करूँ निज।
अपनी बातें, अपनी राहें
अपनी खुशियाँ, अपनी आहें
अपना प्यार, मुहब्बत अपनी
दूजे को भी नेह करूँ नित।

Exit mobile version