कभी कसमें खिलाती थी मुझे ना दूर जाना तुम
सदा ही साथ में रह के महक बन फूल जाना तुम
मगर मजबूरियाँ कैसी जुदा जो हो गए पल में
लिखा ख़त में मुझे अंतिम कि मुझको भूल जाना तुम.
मजबूरियाँ


कभी कसमें खिलाती थी मुझे ना दूर जाना तुम
सदा ही साथ में रह के महक बन फूल जाना तुम
मगर मजबूरियाँ कैसी जुदा जो हो गए पल में
लिखा ख़त में मुझे अंतिम कि मुझको भूल जाना तुम.