खो जाये सब कुछ मगर, मत खोना विश्वास,
गया भरोसा बात का, होता है परिहास।
होता है परिहास, सभी हल्का कहते हैं,
बिना पूर्ण विश्वास सभी दूरी रखते हैं।
कहे लेखनी बीज, भरोसे का तू अब बो,
उगा भरोसा आज, भरोसा अपना मत खो।
खो जाये सब कुछ मगर, मत खोना विश्वास,
गया भरोसा बात का, होता है परिहास।
होता है परिहास, सभी हल्का कहते हैं,
बिना पूर्ण विश्वास सभी दूरी रखते हैं।
कहे लेखनी बीज, भरोसे का तू अब बो,
उगा भरोसा आज, भरोसा अपना मत खो।