मन में नई उमंगें Satish Chandra Pandey 4 years ago मन में नई उमंगें फिर से उमड़ रही हैं, कालिमा की परतें सचमुच उखड़ रही हैं। दुविधाएं आज सारी मिटकर सिमट रही हैं बाधाएं आज सारी पथ की निपट रही हैं। मंजिल को चूमने को आतुर हैं मन की लहरें तूफान जैसी बनकर तट पर मचल रही हैं।