Site icon Saavan

मन में नई उमंगें

मन में नई उमंगें
फिर से उमड़ रही हैं,
कालिमा की परतें
सचमुच उखड़ रही हैं।
दुविधाएं आज सारी
मिटकर सिमट रही हैं
बाधाएं आज सारी
पथ की निपट रही हैं।
मंजिल को चूमने को
आतुर हैं मन की लहरें
तूफान जैसी बनकर
तट पर मचल रही हैं।

Exit mobile version