Site icon Saavan

ममता

ममता मूल दुखद तरुवर के ,नैनन नीर बहावे।
निर्मोही जड़ जीव जगत में ,सुख सरिता बहावे।।
श्वान शुका अजशावक जे , मरत मूढ़मति आवे।
निश-दिन मूषक मरत बथेरे, केहू ना दुख मनावै

Exit mobile version