Site icon Saavan

माँ

माँ न होती,
तो यह श्रष्टि न होती

पृथ्वी है माँ,
प्राण है माँ

उचित अनुचित की ,
द्रष्टि है माँ

-विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर)-

Exit mobile version