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माँ

माँ…

कितनी प्यारी प्यारी है माँ
खुशबू है” फुलवारी है माँ
मेरी पहली पहली चाहत
मुझमें नज़र आई जो शबाहत
मैं था जब नन्हा सा बच्चा
कौन मेरी तक्लीफ समझता
मुझको समझा मुझको जाना
मेरी इशारों को पहचाना
क़दम क़दम चलना सिखलाई गिरने लगा तो दौड़ी आई
रोते रोते जब भी आया
आँसू पोछा गले लगाया
पीर” क़लन्दर “वली पयम्बर
माँ का साया सब के सर पर
फूल चमन के चाँद सितारे
लगते नहीँ तुझ जैसे प्यारे
जन्नत इस दुनियाँ मॆं कहाँ है
असली सूरत मेरी माँ है
इज्ज़त दौलत शोहरत ताक़त
पाई मैंने माँ की बदौलत
जिसने पाई माँ की दुवाऐँ
खुल जाती हैं उसकी राहें
दुनियाँ सब क़दमों मॆं बिछाऊँ
हक़ न अदा फ़िर भी कर पाऊँ
जान लुटादे “आरिफ” तुझ पर
प्यार न पाया तेरे बराबर
आरिफ जाफरी

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