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*माँ*

“माँ”! से छोटा शब्द ना सुना कोई,
माँ से बड़ा भी ना कोई हुआ
माँ के दिल को खुश रखना सदा,
माँ की लगती है दुआ
माँ, केवल एक शब्द नहीं,
एक व्यक्ति ही नहीं
एक व्यक्तित्व है, हमारा संसार है
माँ, शब्द में छिपा
जीवन का भण्डार है
माँ, शब्द में मेरा बचपन छिपा है,
माँ, शब्द में मेरी छिपी जवानी
बेशक शब्द छोटा है लेकिन,
है एक जीवन की सम्पूर्ण कहानी ।।

*****✍️गीता

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