*माँ*
“माँ”! से छोटा शब्द ना सुना कोई,
माँ से बड़ा भी ना कोई हुआ
माँ के दिल को खुश रखना सदा,
माँ की लगती है दुआ
माँ, केवल एक शब्द नहीं,
एक व्यक्ति ही नहीं
एक व्यक्तित्व है, हमारा संसार है
माँ, शब्द में छिपा
जीवन का भण्डार है
माँ, शब्द में मेरा बचपन छिपा है,
माँ, शब्द में मेरी छिपी जवानी
बेशक शब्द छोटा है लेकिन,
है एक जीवन की सम्पूर्ण कहानी ।।
*****✍️गीता
मां सम्पूर्ण है उसकी
तुलना किसी से नहीं की जा सकती…
वह हमारे लिए ईश्वर है
बिल्कुल सही है प्रज्ञा , बहुत बहुत धन्यवाद
माँ, शब्द में मेरा बचपन छिपा है,
माँ, शब्द में मेरी छिपी जवानी
बेशक शब्द छोटा है लेकिन,
है एक जीवन की सम्पूर्ण कहानी ।
वाह बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति।
इस प्रेरक समीक्षा हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी
अतिसुंदर अभिव्यक्ति
सादर धन्यवाद भाई जी 🙏