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माखनचोर ।

तू है माखनचोर।

कान्हा तुम आ जाते छुपके
खा जाते हो माखन चुपके,
तड़के आँगन सखियाँ करतीं शोर
तू है माखनचोर।

दही मगन खा मटकी तोड़ी
करते नहीं शरारत थोड़ी,
गाँव में अब चर्चा है हर ओर
तू है माखनचोर।

माखन नहीं अकेले खाते
बाल सखा सब लेकर आते,
शाम कभी तो आ जाते हो भोर
तू है माखनचोर।

माँ, माखन से मैं अनजाना
व्यर्थ गोपियाँ मारें ताना,
उनका तो बस मुझपर चलता जोर
मैं नहीं माखनचोर।

अनिल मिश्र प्रहरी।

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