आंधी और तूफानों में भी डटे रहते हैं,
हम वो हैं जो हर मौसम में खड़े रहते हैं,
उखड़ते हैं तो उखड़ जायें पेड़ और पौधे जड़ों से,
हम तो वो हैं जो देश की ज़मी से जुड़े रहते हैं,
आजाद दिख जाते हैं उड़ते परिंदे कभी,
तो कभी बिगड़े हालात नज़र आते हैं,
पर हम तो वो हैं जो हर हाल में तिरंगे की शान बने रहते हैं,
धुंधली नज़र आती है जहाँ से सरहद के उस पार की धरती,
उसी हिन्दुस्तान की मिटटी से हम हर पल जुड़े रहते हैं॥
राही (अंजाना)