अब मिठास बची कहां
ना रिश्तो में
ना नातों में
ना अपनों की
बातों में
कड़वाहट के बीज
बोयें जा रहे
ना जाने कहां-कहां ?
अब मिठास बची कहां ?
बातें भी शुरू होती
सिर्फ तानों से
तानें तो ऐसे
नासूर होते
बस प्यार बचा है
अपने ही प्राणों से
होता मतलब जब
बस दो बूंद टपकती
मिठास वहां
–✍️–एकता