कितनी मिन्नतों के बाद में मिला तुझसे
मगर मिलकर भी मेरा मिलना न हुआ
क़ी कई बातें, कई मर्तबा हमने
मगर इक बात पे कभी फैसला ना हुआ
कितनी मिन्नतों के बाद में मिला तुझसे
मगर मिलकर भी मेरा मिलना न हुआ
क़ी कई बातें, कई मर्तबा हमने
मगर इक बात पे कभी फैसला ना हुआ