आपकी चाहत के तलबगार है
हम।
आओ एक हो जाए हम।।
ढलती गोधूलि , उस पे हवा के झोंके।
उफ,,, रुत भी कहने लगी एक जान है हम।।
मिलन की प्यास


आपकी चाहत के तलबगार है
हम।
आओ एक हो जाए हम।।
ढलती गोधूलि , उस पे हवा के झोंके।
उफ,,, रुत भी कहने लगी एक जान है हम।।