वाणी से ही विष बहे,
और वाणी से ही,बहे सुधा-रस धार।
मीठी वाणी बोलिए,
यही जीवन का सार।
कण-कण में ईश्वर बसते,
यही प्रकृति का आधार।
निज वाणी से मनुज,
न करना किसी पर प्रहार।
घाव हो तलवार का,
एक दिन जाए सूख।
घाव हरा ही रह जाता है,
जो वाणी दे जाए।
सोच समझ कर बोल रे बंदे
वरना अपने जाएंगे रुठ।।
_____✍️गीता