चल गुजिया ही खिला दे
मीठी सी बोली सुना दे
समझेंगे खेल ली होली,
पोत दे लालिमा रोली।
भूल जा सारी शर्म पुरानी
झिझक से काहे होली मनानी,
आज हमें है रस्म निभानी
चल गुजिया ही खिला दे
मीठी सी बोली सुना दे।
रंग से तर हैं लोग बिरज के
मन में लहर सी उठी है इधर से
हमको भी होली रंगा दे,
चल गुजिया ही खिला दे।