Site icon Saavan

मीठी सी बोली सुना दे

चल गुजिया ही खिला दे
मीठी सी बोली सुना दे
समझेंगे खेल ली होली,
पोत दे लालिमा रोली।
भूल जा सारी शर्म पुरानी
झिझक से काहे होली मनानी,
आज हमें है रस्म निभानी
चल गुजिया ही खिला दे
मीठी सी बोली सुना दे।
रंग से तर हैं लोग बिरज के
मन में लहर सी उठी है इधर से
हमको भी होली रंगा दे,
चल गुजिया ही खिला दे।

Exit mobile version