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मुक्तक

हर सुबह ख्वाबों से रिश्ता टूट जाता है!
प्यार का पलकों में गुलिस्ताँ छूट जाता है!
खोजता हूँ मंजिलें तमन्नाओं की लेकिन,
मुझसे चाहतों का फरिश्ता रूठ जाता है!

मुक्तककार- #महादेव’

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