मुक्तक Mithilesh Rai 7 years ago उठती हुई नजर में एक आशा भी होती है! मंजिल को छूने की अभिलाषा भी होती है! रोशनी मौजूद है अभी जिन्दगी में लेकिन, जज्बों के टूटने की परिभाषा भी होती है! मुक्तककार- #महादेव'(27)