हर शक्स जमाने में गुमनाम जैसा है!
दर्द और तन्हाई की शाम जैसा है!
जलता हुआ सफर है राहे-मंजिलों का,
जिन्दगी को ढूँढता पैगाम जैसा है!
मुक्तककार – #मिथिलेश_राय

हर शक्स जमाने में गुमनाम जैसा है!
दर्द और तन्हाई की शाम जैसा है!
जलता हुआ सफर है राहे-मंजिलों का,
जिन्दगी को ढूँढता पैगाम जैसा है!
मुक्तककार – #मिथिलेश_राय