मुक्तक Yogi Nishad 6 years ago मुक्तक दस्तक क्युँ करते हो बार बार, बिहड़ मन उपवन के सुने द्वार। न छेड़ो प्रेमागम की तार को, चुभत है दिल पे इनकी झनकार।