Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Mithilesh Rai
Lives in Varanasi, India
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क्या हो तुम
मेरी हर गीत, हर साज़ हो तुम । कल को भूला दूँ, वो आज हो तुम । कैसे बयान करूँ, क्या हो तुम, मुझ बेज़बां…
नज़र ..
प्रेम होता दिलों से है फंसती नज़र , एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र, जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र, फिर…
जब भी वो आ जाती है
जिंदगी में उम्मीदें जैसे दोबारा आ जाती है इस कदर से खुमारी उसकी मुझपे छा जाती है। यारो तुम्हें पता है ऐसा कब होता…
” बड़ी फ़ुरसत में मिला मुझ से ख़ुदा है…”
मेरी सांसो में तू महकता हैँ क़ायनात – ए – ग़ैरों में तू ही अपना लगता हैँ 1 . होंठों की ख़ामोशी समझा…
बहुत खूब सर
Bahut khoob Mithlesh ji
Nice one
वाह बहुत सुंदर रचना