मुक्तक

जुस्तज़ू क़ुरबत की फ़िर से बहक रही है।
तेरी बेरुख़ी से मगर उम्र थक रही है।
रात है ठहरी सी तेरे इंतज़ार में-
तिश्नगी आँखों में फ़िर से चहक रही है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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इंतजार के पल – उम्मीद की किरण संजोए इंतजार के पल हर लम्हा याद में गुजारे इंतजार के पल कभी हसाए तो कभी रुला ही डाले मुस्किल से बीतते है, ये इंतजार के पल। बेचैन कर के ही माने, इंतजार के पल सुकून को दूर भगाए ,इंतजार के पल पहेली सा मन में जगह बनाए उलझन में डाल देते , ये इंतजार के पल। विश्वास से रिश्ता बनाते,इंतजार के पल हर वक्त बस है आजमाते ,इंतजार के पल एक उम्र संग बहा ले जाए ख्वाबों का जहां बसाए ,ये इंतजार के पल।

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