मेरे दर्द को तेरा अफ़साना याद है।
मेरे ज़ख़्म को तेरा ठुक़राना याद है।
ख़ींच लेती है तलब मुझको पैमाने की-
हर शाम साक़ी को मेरा आना याद है।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
मेरे दर्द को तेरा अफ़साना याद है।
मेरे ज़ख़्म को तेरा ठुक़राना याद है।
ख़ींच लेती है तलब मुझको पैमाने की-
हर शाम साक़ी को मेरा आना याद है।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय