मुक्तक महेश गुप्ता जौनपुरी 5 years ago छप्पन भोग लगा कर बेटा आज नदी के पास बैठा है पिण्ड बनाकर मेवे का ढोंग देखो रचा कर बैठा है जो मर गये एक निवाले के लिए घुट-घुट कर चार दिवारी में क्या क्या ना सुना बुढ़ापे में बाप ने बुढ़ापे की लाचारी में