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मुक्तक

थी मोहब्बत दिल में पहले हो गई नासूर अब
पूछता न था कोई पर हो गई मशहूर अब !
उसका दिल रखने हजारों दे दिया कुर्बानियाँ
और ओ फितरत से अपने हो गई मगरूर अब !!
उपाध्याय….

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