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मुक्तक2

हो गयी मुद्दत  तुम्हारे सामने आया ही नहीं ,
है मगर सच ये कभी तुमने बुलाया ही नहीं.
अब तो सांसो पर मेरे पहरा तुम्हारा ही रहे,
है राज़ कि बातें,तेरे बिन एक पल बिताया भी नहीं.
  …atr
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