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मुखौटा

सब मुखौटा है लगाए फिर रहे
और सच को सब छिपाए फिर रहे

एक वो है कुछ बताता ही नही
एक हम है सब बताए फिर रहे

लोग पैसो के लिये है बावले
और रिश्तो को भुलाए फिर रहे

कामयाबी से मेरी हैरान सब
दांतो में उगंली दबाए फिर रहे

मर मिटेगें एक दिन दिल में लिये
दर्द जो दिल में दबाए फिर रहे

हाल वो ही पूँछते है अब लकी
देख लो जिनके सताए फिर रहे

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