मुझको सो जाने दो जीवन
रात हुई अब बहुत घनी
नैनों से ओझल हैं सपनें
साँसों से भी ठनी-ठनी
आसमान बाँहें फैलाकर
मेरे स्वागत को आतुर है
धरती पर बस बोझ बनी हूँ
मिट्टी में मिल जाने दो
रो-रोकर धो दिए दाग हैं
मैंने सूखे अश्कों के
ओ तकिये ! मेरे आँसू पोंछो
तन्हाई मुझको जाने दो !!
मुझको सो जाने दो जीवन
मिट्टी में मिल जाने दो ||