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मुलाकात

जिनके आने के ख्वाब में हम पलकों को बिछाये बैठे हैं ,
वो किसी और के ख्वाबों को पलकों पर सजायें बैठे हैं
चलों ये गुस्ताखी भी हम माफ करें , गुफ्त़गू के लिये मुलाकात करें ,
पर कब तक यूँ ही बात करें , दिन रात वफा की फरियाद करें ,
आओ हम नई शुरूआत करें ख्वाबों में ही क्यूँ ना मुलाकात करें,

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