चला जा रहा हूँ , दूर बनके मुसाफिर
करके हौंसले मजबूत ,
आँखों को किये काफिर .
कैसा है ये सफर ,
जहाँ मंजिल का भी पता नहीं ,
कहाँ चला जा रहा हूँ मैं ,
मुझको भी खबर नहीं ,
फिर भी ……………………………
friends ,
Plzz complete this poem.
Show your creativity , your emotions….