मुसाफिर (Plzz complete)

चला जा रहा हूँ , दूर बनके मुसाफिर
करके हौंसले मजबूत ,
आँखों को किये काफिर .
कैसा है ये सफर ,
जहाँ मंजिल का भी पता नहीं ,
कहाँ चला जा रहा हूँ मैं ,
मुझको भी खबर नहीं ,
फिर भी ……………………………

 

friends ,

Plzz complete this poem.

Show your creativity , your emotions….

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Responses

  1. Phir bhi lagta hai tu aayegi tere yaadon ki jagah,
    Yaa naam shumar hoga hamara bhi aashiqo me
    Kehte hai mohhbat aadhuri ho vo shiddat nhi hoti,
    Har mohhabat jo puri ho dost,,,,,vo hum jaiso ke naseeb me nhi hoti….

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