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मेरे ख्वाब ही शायद ठीक है

मेरे ख्वाब ही शायद ठीक है

और ना जगा

खुदगर्ज़ इस दुनिया की फिदरत देखो

सोचा कभी बदलेंगे दुनिया

पर हर घड़ी यह बदलता है

अपनों से दूर किए जाता है।

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