मेरे भारत के युवक जाग
आलस्य त्याग, उठ जाग जाग
तेरी मंजिल कुछ पाना है,
पाने तक चलते जाना है।
सोने को तो रात बहुत है
क्यों तू दिन में सोता है,
दिन में सब पाने को जुटते
सोकर क्यों तू खोता है।
मोबाइल से ज्ञान खोज ले
गलत राह क्यों खोज रहा
छोड़ इसे, कुछ मेहनत कर ले
इसमें आंखें क्यों फोड़ रहा।
समय पे सो जा जाग समय पर
दौड़ लगा, व्यायाम भी कर,
ठोस बना ले जिस्म स्वयं का,
सच्चाई की राह पकड़।
मेरे भारत के युवक जाग
आलस्य त्याग, उठ जाग जाग
तेरी मंजिल कुछ पाना है,
पाने तक चलते जाना है।