‘बुझा गया है कोई, मैं चिराग था पहले,
जो जगह आज बंज़र है, बाग था पहले..
बदल ली करवट कुछ इस कदर तकदीर ने,
डरता हूँ आज धुएँ से, मैं आग था पहले..’
– प्रयाग
‘बुझा गया है कोई, मैं चिराग था पहले,
जो जगह आज बंज़र है, बाग था पहले..
बदल ली करवट कुछ इस कदर तकदीर ने,
डरता हूँ आज धुएँ से, मैं आग था पहले..’
– प्रयाग