‘बेवजह ही है मुझसे जुड़ी हर उम्मीद तेरी,
क्या तेरे दिलो-ज़ेहन में खयाल नही उठता..
मैं छोड़ आया हूँ अभी-अभी समंदर को,
तेरी झील का रुख करने का सवाल नही उठता..’
‘बेवजह ही है मुझसे जुड़ी हर उम्मीद तेरी,
क्या तेरे दिलो-ज़ेहन में खयाल नही उठता..
मैं छोड़ आया हूँ अभी-अभी समंदर को,
तेरी झील का रुख करने का सवाल नही उठता..’