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मैं तेरी मुस्कान चाहती हूं।

मैं तेरी मुस्कान चाहती हूं,
तेरा हर अरमान चाहती हूं।
तू उड़ सके आजाद,
यह पैगाम चाहती हूं।
फिरे तू हर उन गलियों से,
जो गुजरती हो बुलंद नगरों से।
बीच में तू रुके ना तू,
कभी झुके ना तू ,
बस तेरी जीत हो ,
ये एहसास चाहती हूं।
मैं बस तेरी मुस्कान चाहती हूं।

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