Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
आजाद तेरी आजादी
भारत मां के अमर पुत्र “चन्द्रशेखर आजाद” की पुण्य तिथि पर मेरी एक तुच्छ सी रचना l रचना का भाव समझने के लिये पूरी रचना…
मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
अति सुंदर भाव और प्रस्तुति
धन्यवाद जी
बहुत ही अच्छी कविता है
सादर धन्यवाद जी
बहुत खूब
धन्यवाद सर
Adbuut Rachana👌
धन्यवाद 🙏
एक मां के अपनी बेटी के प्रति प्रेम भावना और अभिलाषा को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया है बहुत उम्दा
सुंदर समीक्षा के लिए हार्दिक धन्यवाद
Me bhi aapki muskan chahta hu..😊😘
Thank you dear bro..
Adbhut bahut hi sundar rachna hai apki…
धन्यवाद
बहुत ही बढ़िया कविता है.
धन्यवाद
वाह क्या बात है
धन्यवाद