मैया यशोदा से लिपट के, हँस के बोले नंदलाला।
माखन कहाँ खाया है, तेरा सबसे दुलारा नंदलाला ।।
दोष लगाना कान खिंचवाना, यही सभी को भाता है।
बाल सखा से पूछ ले मैया, कहाँ था तेरा नंदगोपाला।।
मैया – सारा दिन भाग रहा था मैं, गैया के पीछे पीछे।
फिर कैसे दोष दे रही है, ब्रज के समस्त ब्रजवाला ।।
झूठ के खेती करने आ पहुँचे है, समस्त ब्रजवासी।
कहना मान ले मैया, सच कहता है तेरा कन्हैया लल्ला।।