मैं निर्दोष हूँ मैया
मैया यशोदा से लिपट के, हँस के बोले नंदलाला।
माखन कहाँ खाया है, तेरा सबसे दुलारा नंदलाला ।।
दोष लगाना कान खिंचवाना, यही सभी को भाता है।
बाल सखा से पूछ ले मैया, कहाँ था तेरा नंदगोपाला।।
मैया – सारा दिन भाग रहा था मैं, गैया के पीछे पीछे।
फिर कैसे दोष दे रही है, ब्रज के समस्त ब्रजवाला ।।
झूठ के खेती करने आ पहुँचे है, समस्त ब्रजवासी।
कहना मान ले मैया, सच कहता है तेरा कन्हैया लल्ला।।
अतिसुंदर
धन्यवाद महोदय।
बहुत खूब
शुक्रिया मेहरबान
बहुत खूब
आपकी समीक्षा ही मेरी शान है।
Good
धन्यवाद महाशय।
बहुत खूब
आपकी समीक्षा ही, मेरी कलम मे शक्ति प्रदान करती है।