मैं पानी का आईना हूं Kapil Singh 8 years ago टूटता हूं फिर से जुड जाता हूं मैं पानी का आईना हूं घर से लिये हूं रात का सूरज कहने को मिट्टी का दीया हूं गले गले है पानी लेकिन धान की सूरत लहराता हूं रस की सोत बनेगी दुश्मन गन्ने सा चुप सोच रहा हूं