Categories: ग़ज़ल
Kapil Singh
Loves life I live :)
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nice poem kapil bro
thanks mohit bhai
Kapil जी , इस कविता की हर लाइन में अपने होने और न होने को साकार किया गया है और जिस तरह से उसे आपने बिछाया है वो बेहतरीन है… I have become a fan of your magic of words… Amazing…
dhanyabaad …. jo aapko kavita pasand aayi
Good
वाह