Site icon Saavan

मैं पुहुप हूँ गांव का

मस्तमौला चाल मेरी
मैं पुहुप हूँ गांव का
आ गया तेरे शहर
कंटक समझ मत पांव का।
घूमता बेघर फिरा हूँ
है मनोरथ छांव का
जिंदगी वारिधि सरीखी
क्या भरोसा नाव का।

Exit mobile version