मैं पुहुप हूँ गांव का Satish Chandra Pandey 3 years ago मस्तमौला चाल मेरी मैं पुहुप हूँ गांव का आ गया तेरे शहर कंटक समझ मत पांव का। घूमता बेघर फिरा हूँ है मनोरथ छांव का जिंदगी वारिधि सरीखी क्या भरोसा नाव का।