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मैं

दिन रात शराब पी कर तंग आ गया हूँ मैं। बेवफा की नशा उतरता ही नहीं क्या हो गया हूँ मैं।। कभी इश्क़ से कोसो दूर रहा करता था मैं।आज इश्क़ के गुलाम बन कर रह गया हूँ मैं।। कभी न कोई गम था न कोई दर्द था आज़ाद पक्षी था मैं। किसी ने चलाया ऐसा तीर घायल हो गया हूँ मैं।। दिल की महफ़िल में आज अकेला रह गया हूँ मैं। कौन हूँ मैं, क्या हूँ मैं बस यही सोच रहा हूँ मैं।।

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