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मोमबत्तियों-सा है जीवन अब तो..!!!

मोमबत्तियों-सा है जीवन
अब तो
पिघलना है प्रकाश फैलाना है
काव्य लिखने का मन है
अब तो
तेल डाल दे कोई
मेरे जीवनरूपी दीपक में,
अभी और तम मिटाना है
अभी इमारतें बनानी हैं
अभी वो आसमां झुकाना है
वैमनस्यता मिटानी है
प्रेम का दीपक जलाना है
खत्म होने को है
मेरे कलम की स्याही
बाजार से कल और
खरीद लाना है
डायरी के पन्ने कम पड़ गए हैं
फिर उस दोस्त से मंगाना है।।

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