मौन का मतलब
समझते हो पथिक?
यह दवा है दर्द की जो
दर्द को ज्यादा चढ़ाकर
कम किया करती है मन का।
आप तो बस खो गए
मन खोजता ही रह गया
आपका चेहरा नयन में
बोझ बनकर रह गया,
यह जरूरी बोझ था,
आवश्यक था जिंदगी को
जिंदगी में ओ मुसाफिर
बोझ ढोना है जरुरी,
बोझ से दाबा हुआ मन
उड़ता नहीं झौंकों से हलके।
मौन उसको ढकता जाता
ताकि दिल या दिल्लगी के
इस शहर को,
प्रदूषित न कर दे
मन के वाहन का धुँआ
बैठता जाता सतह पर
आपके होंठों को छूता
मन की लगी का धुँआ
मौन साँसों का धुँआ।
—- डॉ0 सतीश चंद्र पाण्डेय
(मनोवृतिजन्य काव्य) टाइपिंग मिस्टेक सुधार के उपरांत पुनः प्रस्तुत