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मौसम और माहौल

दोस्तों में उल्लास रहे जब हमारे,
मुस्कुरा उठते हैं, तब लब हमारे
व्यथित हो जाए कोई दोस्त गर,
व्याकुल हो जाएं हम भी इधर
कोई दुखी होता है गर उधर कहीं,
कैसे खुश रहेंगे हम इधर हैं यहीं
गर कोई बैरी बाहरी, दिल को दुखाए,
दूर से नमस्ते करें, तुरंत निकल जाएं
करें नज़र अंदाज़ उसे, नज़रों में ना लाएं
माहौल ऐसा है, मौसम भी कैसा,
ना गर्मी, ना सर्दी सुहाना समां है,
मन हो रहा है, जाने कैसा कैसा..

*****✍️गीता

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