यादों की मोमबत्ती NIMISHA SINGHAL 5 years ago बुझती, बंद होती यादों की मोमबत्तियां, दे जाती है याद आज भी मधुरिमा। कुछ शब्द कोंधते हैं आवाज़ बनके कहकहे हवाओंमें गूंजते हैं साज बनके। निमिषा सिंघल