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यादों की मोमबत्ती

बुझती, बंद होती यादों की मोमबत्तियां,
दे जाती है याद आज भी मधुरिमा।
कुछ शब्द कोंधते हैं आवाज़ बनके
कहकहे हवाओंमें गूंजते हैं साज बनके।
निमिषा सिंघल

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