यादों की मोमबत्ती

बुझती, बंद होती यादों की मोमबत्तियां,
दे जाती है याद आज भी मधुरिमा।
कुछ शब्द कोंधते हैं आवाज़ बनके
कहकहे हवाओंमें गूंजते हैं साज बनके।
निमिषा सिंघल

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साज़ …….. बुझती… बंद होती.. यादो की मोमबत्तीयाँ…. दे जाती हैं याद… आज भी मधुरिमा। याद रह जाते हैं …कुछ शब्द…गूंज बनके… कहकहे हवाओं में…

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