ये रणबांकुरे भारत के,सीमा पर देखो खड़े हैं
हम चैन से सोएं रातों को, दुश्मन से वो लड़े हैं
गर्मी का मौसम हो,या पड़े कड़कती सर्दी
भारत मां की रक्षा करते ,पहन के फौजी वर्दी
याद आती है घर की मगर,फिर भी इन्हें सुहाती ये डगर
अड़ियल है दुश्मन, बर्फीली वादी
खाने को मिलती है, अक्सर रोटी सादी
देशभक्ति मन में लिए,सरहद पर सैनिक खड़े हैं
दिल से नमन है उन वीरों को,
भारत मां की रक्षा खातिर, जो बैरी से लड़े हैं