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रक्षाबंधन

1: रक्षाबंधन
रक्षासूत्र सिर्फ एक धागा नहीं,
अटूट स्नेह प्यार विश्वास समर्पण का व्यवहार ।
रक्षाबंधन भाई बहन के अटूट स्नेह का त्यौहार ।।
भरोसा उस विश्वास का
भाई हरहाल में रहेगा बनकर ढाल
विश्वास उस मजबूती का
भाई रहेगा सुरक्षित,बाल बाँका कर न सकेगा
दुश्मन की कोई भी चाल
आशा उस उपहार की,उम्मीदें जुङी हैं जिससे हजार
कोई भी जंग,जयघोष हो मेरे भैया की ही बारम्बार
हाँ,रक्षाबंधन ही वह पर्व है,दर्शाता भाई बहन का अटूट प्यार ।।
भाई भी कहाँ करता,कभी अनदेखी
पूरा करता वह स्वप्न,जो बहन ने है देखी
अपने खर्चे को काट-काट,जाता जब वो कोई हाट
ले आता झिल्ली व जलेवी ,खाता मिलकर बाट
देखते बनती उस भाई बहन की कैसी ठाट
कभी बांस की डलिया ले आता
संग में बैठ, कभी उछलकर,बाँसुरी बजाता
बहन अब भी,उस भाई की,जोहा करती बाट
बचपन के उस प्रेम की कीमत कोई भला क्या जाने
मन अब भी वो बचपन के,कच्चे माटी के खिलौने मांगें
बहन की पलकों पर, स्नेह संग दुआएं हैं हजार
हाँ,बहन की आखों में आज भी उस भाई का है इन्तज़ार
।।
सुमन आर्या

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